आज के समय पूरी दुनिया में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग धडल्ले से हो रहा है | शायद ही कोई ऐसा मिले जिसे इंटरनेट थोड़ा ज्ञान हो और वो सोशल मीडिया का उपयोग ना करता हो | सभी किसी ना किसी प्लेटफार्म पर बिजी है | और हो भी क्यों ना इस माध्यम से आसानी से मार्केटिंग कर सकते है ,कम्युनिटी बना सकते है |
जहा एक तरफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म के कईयों फायदे है जैसे देश -विदेश की खबरे फ़ौरन मिल जाती है | हम अपने विचारो को आसानी से पंहुचा सकते है | लेकिन क्या बस यही आधुनिकता है जिसमे परम्पराओं का हनन होता जाये| क्या आपने त्योहारों में सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों पर गंभीरता से चिंतन किया है अगर नहीं तो आइये इन दुष्प्रभावों पर विचार करते है |
बात तब से शुरू करते है जब हमारे पास इतने सारे संसाधन नहीं थे तब भले ही हमारे सन्देश अपनों तक देर पहुँचता था मगर जब वो सन्देश मिलता था तो ऐसा लगता मानो जैसे हमारे अपने हमारे सामने ही खड़े हो | उस वक़्त हमें बस उनकी ख़ुशियाँ और उनके गम ही दिखाई देते थे मगर आज की इस आधुनिक युग में हम सब जैसे तकनीक के गुलाम बन गए हैं | इसी आधुनकिता के कारण धीरे-धीरे हम अपनी संस्कृति और संस्कार भी भूलते जा रहें है |
इस आधुनिक परिवेश ने हमे बहुत कुछ दिया है इसमें को ई शक नहीं मगर इसने हमसे क्या छीना है इसका एहसास भी बेहद दुखी करने वाला है | कभी हम त्योहारों पर दोस्तों , रिश्तेदारों के घर जाते थे और उनकी खुशियों में शामिल हो कर उन खुशियों को दोगुना कर देते थे , मगर आज इतना समय कहाँ है हमारे
पास | हमें तो बस दिखावा करना है जो आज के दौर में हर कोई कर रहा है | ऐसा नहीं के त्योहारों का महत्व ख़त्म हो गया है पर यकीन मानिये थोड़ा कम ज़रूर हो गया है |
आज किसी भी त्योहार पे लोग गले मिलने की जगह स्टेटस लगते है , सोशल मीडिया के जरिये एक-दूसरे को बधाइयाँ / शुभकामनाये दे देते है | बहुत अच्छा है बधाई तो देनी चाहिए मगर जहाँ आप नहीं पहुंच सकते वहाँ |
तो आइये आज मिलकर कुछ ऐसा करे की हम आधुनिक तो बने मगर अपने जड़ो में लगे रहे | क्यूंकि जैसे कोई तना अपने जड़ से दूर हो के कही का नहीं रहता वैसे ही अगर हम अपने त्योहारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से ही मनाने लगे तो समझो हम अपने ही हाथों अपने संस्कृति की हनन कर रहे हैं |