भारतीय मीडिया

क्या भारतीय मीडिया आपके मुद्दे पर बात करती है?

बहुत समय पहले की बात हैं,जब मेरी पिताजी हर समय न्यूज़ चेन्नल देखते रहते थे, चूँकि मैं छोटा था | मुझे कुछ समझ नहीं आता था,की टीवी पर बोल रहा व्यक्ति किस मुद्दे पर अपनी बात रख  रहा हैं, और मैं बहुत जल्द ऊब जाता था और कुछ और लगाने की विनती करने लगता,पिताजी का टीवी पर समाचार देखना एहसास दिलाता था, जेसे उस समय मानो की उनकी मन के बात टीवी पर बता रहा  व्यक्ति उनके समक्ष रख रहा हो, मानो जेसे उनकी चिंतायें अभी यह न्यूज़ एंकर सरकार से  कहकर पूरी कर देगा, कितना शालीन सभाव था, उस व्यक्ति का जो इतने आराम से  बिना अकर्मक हुए और बिना किसी का पक्ष लेते हुए अपनी राय जनता के समक्ष रखता था बहुत अच्छा  तो नहीं लगता था, पर ठीक था वेसे भी उसे समय जीवन में मुद्दे नहीं थे, क्योकि वो बचपन था और धीरे धीरे बढ़ने का समय था |

उसके कुछ समय बाद मुझे भी न्यूज़ का मानो नशा सा  हो गया था | गौर कीजियेगा न्यूज़ का था टीवी का नहीं क्योकि अब मेरे मुद्दे टीवी पर आ रहे थे, जीवन की रोजमर्रा की समस्या पर चर्चा हो रहे थी, जेसे बोर्ड के परीक्षा कब होगी? किसने कहा धरना  दिया कोन आन्दोलन कर रहा हैं? किसने किसको घेरा? कुछ इस तरह के मुद्दे,और ग्राउंड जीरो पर खड़ा रिपोर्टर जब जनता से सवाल करता तो मानो जनता गुस्से में जवाब ऐसे सवाल दागती  की नेता जी चाहे किसी भी सरकार के हो घर पर बैठे-बैठे जलील हो जाते थे पत्रकार आराम से सवाल पूछता और जनता बस अपना गुस्सा जाहिर करती बहुत सुकून मिलता था, मानो ऐसा लगता था की सरकार शर्मिंदा हो कर वो काम कल ही करवा देगी | 

वर्त्तमान परिस्थियों में ऐसा नहीं हिं अब ग्राउंड जीरो पर पत्रकार जाता तो हैं, पर एक ही मुद्दे तो बताने वाले दो राय रखने वाले होते हैं एक आम आदमी तो हमेशा की तरह आम के दाम कट जाता हैं, और दूसरा होता हाँ सर्मर्थक जो आपको ऐसे घुमाता हैं, वहां मौजूद पत्रकार भी समर्थक की हां में हाँ मिलता नज़र आता हैं, क्योकि पत्रकार को पता हैं, उससे जनता को नहीं समर्थक को कवर करना हैं, हाल ही के हालातो के बात करे तो ट्विटर पर ट्रेंड चल रहा था मैं भी बेरोजगार हूँ, पहले एसएससी रेलवे पुलिस पटवारी भर्ती जो सालो से अटकी पड़ी हैं उसके लिए जेसे मुद्दो को उठाया गया, 17 सितम्बर ही समाज रहे हैं तो ठीक हैं समझदार हैं, आप अब मेने टीवी पर देखा जब पत्रकार  ग्राउंड जीरो पर गया, इस मुद्दे को लेकर तो  जो बेरोजगार ट्रेंड चला रहे हैं, उनकी बजाये वो गया समर्थको के पास जो बड़ी ज्ञान से इस मुद्दे के बारे में बता रहे थे अगर सरकारी नोकरी न होना बेरोजगारी  हैं तो? अनिल अम्बानी भी बेजोजगार हैं सच में तो  अनिल जी का रोजगार भी सही नहीं चल रहा हैं अमेरिका की कोर्ट ने लोन चुकाने का बोल दिया हें, खैर मुद्दे पर आते हैं तो जनाब लोकतंत्र की हत्या सिर्फ सिर्फ  किसी का खुले आम मर्डर या  बलात्कार  करने पर ही नहीं होती  हैं,  जब न्यूज़  देखने और बोलने वालो में समर्थक घुस जाय तब भी हो जाती हैं, आज आपको इस का एहसास नहीं हो रहा हैं, की मीडिया में जनता नहीं समर्थक हैं, एक दिन जरुरु होगा जब आपके मुद्दे की बात पर जबाब सरकार नहीं समर्थक जवाब देंगे, हो भी तो यही रहा हैं आज फेसबुक टट्विटर पर आप किसी मुददे को रखे के देखो समर्थक ऐसा ट्रोल करेगे की करेगे की आपको  पोस्ट  ही डिलीट करनी पड़ेगी | 

बीते कुछ दिनों में मुद्दे बहुत थे, पर मीडिया का का धयान सिर्फ और सिर्फ सुशांत और रिया से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था, रिया क्या हो गई मानो उनके लिए TRP बढ़ने वाली जादू की छड़ी हो गई, अब मुद्दे वो नहीं | जो आप देखना चाहते  हैं, अब मुद्दे वो हैं जो सरकार और उनके समर्थक आपको दिखाना चाहते हैं, और ऐसी न्यूज़ देख-देख कर आपकी मानसिकता और आपके बच्चो की मानसिकता पर क्या प्रबाव पड़ रहा हैं, आप समझ ही नहीं सकते हैं, जब हमारे और आपके बच्चे टीवी हिन्दू-मुस्लिम डिबेट देखते हैं, तो जरा सोचिये  उनका आने वाला कल और उनका  भविष्य और उनकी सोच   केसी होगी और हम आने वाले समय के लिए केसा लोकतंत्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं, हमारी पीड़िता मुद्दों को भूल जायगी और सिर्फ सम्पर्दिय्कता में ही उलझी रहेगी ,और उदार सरकार जो चाहे कर के जेसा बिल चाहे पास करवा के जनता का शोषण करती रहेगी और जनता के अधिकार धीरे धीरे अपनी और लेती रहेगी | और वही समय होगा अपनी लोकत्रंत की आत्मा निकल जायगी |

अपने कभी सोचा हैं, जिन मुद्दे को टीवी पर जोरदार तरीके से दिखया गया जब उनका का क्या हुआ?  कोरोना काल के चलते जिन जमातियो को पकड़ा गया उनका क्या हुआ? जिस तरीके से टीवी पर मोलाना साद जो की जमियो के सरदार हैं मोलाना साद को लेकर एंकर ने बड़ी बड़ी  बाते बोली, उनका क्या हुआ क्या मरकज बंद हो गया? उस समय मरकज और जमातियो को लेकर जेसे न्यूज़ चल रही थी | जेसे मानो बहुत  बड़ा खुलासा होने वाला हैं? हम सब की मानसिकता बदल गई में मुस्लिम हु पर एक पर तो मुझे भी न्यूज़ देख के लगा की ये क्या यह सच में एसा हैं? और हुआ क्या? बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने देहली के निजामुदीन मरकज में तबलीगी जमात के खिलाफ fir को रद्द करने का आदेश दे दिया, और कहा की मीडिया ने जमातियो को बलि का बकरा बनाया हैं, इतने दिनों से चली आ रहे बहस एक मिनट में टीवी से धूमिल  हो गई, सिर्फ चंद मिनटों के फ़सलो में टीवी का  ही बदल दिया, आपने सोचा की  एसा क्यों हुआ क्योकि वो न्यूज़ में बता व्यक्ति समर्थक था और वोही दिखा रहा था जो सरकार आपको दिखाना चाहती हैं | 

बहुत से मुद्दे इसे हैं, जो आम आदमी के काम के नहीं हैं फिर भी घंटो टीवी और प्रिंट मीडिया पर हफ्तों महीनो  तक चलते हैं, जो  आम आदमी के किसी काम के नहीं है, फिर भी आप देख रहे हिं क्योकि आप वो देख रहे हैं जो समर्थक और सरकार  आपको दिखा रही हैं, आपके निजी मुद्दे नहीं हैं आप मेरी राय में टीवी देखना छोड़ दीजिये खासकर न्यूज़ |अगर गलती से आप अपनी बात रखते भी तो भक्त पर जगह मजूद हैं और आपको इस तरह ज्ञान देंगे की आप भूल जायगे  की आप कहा हैं? अपने एसा मुद्दा क्यों रखा |    

थिंकटैंक जो की एक निजी क्षेत्र का हिं होने कहा की lockdown के चलते अप्रैल महीने में भारत में जाने वाली नौकरियों की संस्ख्या 12 कारोर्ड 20 लाख.यानि इतने सारे लोग बेजोगार हो गए और कई छोटे-छोटे उद्योग बंद हो गए | 

न्यूज़ वेबसाइट में छापी  एक खबर  के मुताबिक lockdown में 300  मौते भूख से हो गई क्या  इस मुद्दे पर डिबेट  नहीं होना चहिये था? क्या गाय का मुद्दा इन्शान के मरने से बेहतर  हैं? 

रेप के मामले में राजस्थान टॉप पर हैं दुसरे और तीसरे नंबर पर केरल एमपी,सबसे जायदा मामले up टॉप पर हैं एनसीआर के आकड़ो पर गौर  करे तो बीते साल महिलाओ के किलाफ़  4,08,861 मामले मिले इनमे हर दिन ओसतन 87 मामले बलात्कार के हैं ncrb के माने तो 2018 की एवज  मैं महिलाओ के  खिलाफ अपराध  के मामलो  में 7.7 पर्तिशत की वर्धि दर्ज  की गई, नेशनल क्राइम रिकोडब्यूरो डेटा के अनुसार up में 2019 में महिलाओ के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यदा 59,853 मामले दर्ज किये गय क्या ये लोकतत्र की हत्या नहीं हैं,क्या यह मुद्दे देश के नहीं ह?  

क्या ये सब मुद्दे पर बह्हस होते देखा ?क्योकि समथक और सरकार नहीं दिखाना चाहते हैं आपको इन मुद्दों को उठाना पड़ेगा सोई हुए सरकार  को जगाना पड़ेगा, और इस काम को सबसे बेहतर युवा कर सकता हिं कुछ लोग कहे रहे हैं की विपक्ष कमजोर हैं विपक्ष कमजोर हैं या वर्तमान सरकार  ने कर दिया हैं विपक्ष कमजोर नहीं ह मीडिया कवर नहीं कर रहे हैं विपक्ष को हाथरस  जाने के लिए रोंके जाने पर राहुल गाँधी को ट्रोल  किया गया,अब  यह नहीं कहा जा सकता हैं की उन्हें उन्हें दक्का दिया गया?  या फिर राहुल गाँधी ने संतुलन खो दिया  इस पर एक राय नहीं हुआ जा सकता हैं,विपक्ष को यु गिराया जाना चिंता का विषय हैं और आपके और हमरे लिए कतरे का हंटर ह सोचिये और विचार किजिजिये लोकतन्त्र में आपके मुद्दे पर समर्थक केसे लात मार रहे हैं|

                                                                                                    सुकरात ने कहा है –

अगर कोई अच्छा चोर है,

तो वह अच्छा रखवाला भी बन सकता है!

और अगर कोई अच्छा रखवाला है,

तो वह अच्छा चोर भी बन सकता है !

आज हमारे देश में यही हो रहा है ….

चोर,चोर ही है ;

और रखवाले चोर बन गये हैं ।।।

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